हम तारों की धूल ( Stardust ) से बने हैं |

हम तारों की धूल ( Stardust ) से बने हैं |


यह बात किसी आश्चर्य से कम नही कि हम तारों की धूल से बने हैं | यह कोई काल्पनिक कहानी नही हैं | लेकिन इस बात के पीछे वैज्ञानिक तथ्य हैं | इस पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक कण किसी तारें की जलती हुई कोर में बना था | ये सभी कण एक साथ मिलकर पृथ्वी पर जीवन का निर्माण करते हैं | इसलिए हम कह सकते है कि हम तारों की धूल है |
हमारा ब्रहमाण्ड शुरूआती समय में समय के एक छोटे से पल में एक धमाके के बाद फैलना शुरू हुआ | ब्रहमाण्ड में बनने वाले सबसे शुरूआती कण हाइड्रोजन परमाणु के थे | क्योंकि हाइड्रोजन के परमाणु के नाभिक में एक प्रोटॉन होता हैं | हमारा शरीर 7 X 1027 परमाणुओं से बना हुआ हैं |
वैज्ञानिकों ने बहुत बड़े पैमाने पर Stardust का अध्धयन किया हैं | वैज्ञानिक Carl Sagan ने कहा था कि हमारे DNA में मौजूद नाइट्रोजन, हमारे दाँतों में मौजूद कैल्शियम, खून में मौजूद लोहा और सेब के टुकड़े में मौजूद कार्बन तारों के अन्दर बने थे | हम Starstuff से बने हैं |
एक मनुष्य के शरीर में और इस आकाशगंगा के 97 % परमाणु, तत्व एक समान प्रकार के हैं | जीवन के लिए आवश्यक माने जाने वाले तत्व नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फ़ॉस्फोरस, सल्फर, हाइड्रोजन और कार्बन तारों में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं | जैसा कि हम जानते है कि Stardust परमाणु भारी तत्व हैं | हमारे शरीर में लगभग 70 % जल हैं | हमारे शरीर में मौजूद हड्डियाँ, मांसपेशियाँ, अंग आदि सभी चीजें विभिन्न अणुओं और परमाणुओं से बने होते हैं |
Astronomers ने स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक विधि के द्वारा इन तत्वों का सूक्ष्मता से अध्धयन किया और उन्होंने पाया कि प्रत्येक तत्व तारें के भीतर से अलग – अलग तरंगदैर्ध्य का उत्सर्जन करता हैं | हालांकि मनुष्य तारों के साथ बहुत अधिक तत्वों का साझा करता हैं | लेकिन तारों और मनुष्य के बीच तत्वों का अनुपात अलग – अलग हैं | उदाहरण के लिए मनुष्य में ऑक्सीजन का द्रव्यमान 65 % हैं | जबकि ऑक्सीजन अंतरिक्ष में मापे गये सभी तत्वों का 1 % हैं | ( जैसे कि तारों के स्पेक्ट्रम में )
अगली बार जब आप रात के समय चमकते तारों को देखें तो यह बात ध्यान रखिये कि ये दिखाई देने वाले तारें हमसे अलग नही हैं | हम तारों के कण हैं |
अमरीकी अंतरिक्ष यान स्टारडस्ट ने अंतरिक्ष से धूल के कण लेकर धरती पर छोड़े हैं. ये यान सात साल से अंतरिक्ष में था.
अंतरिक्ष यान ने धूल के ये कण उस वक्त छोड़े जब वो 4.7 अरब किलोमीटर का चक्कर लगाने के बाद धरती के पास से गुज़रा.
स्टारडस्ट यान ने धूल के कणों से भरा बक्सा 0557 जीएमटी पर छोड़ा. इस बक्से का वज़न 45 किलोग्राम था. उड़ान भरने के चार घंटे बाद अंतरिक्ष यान ने धरती के वायुमंडल में प्रशांत महासागर के ऊपर से प्रवेश किया.
यान ने 46 हज़ार 660 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पकड़ी और इसे अमरीका के कुछ हिस्सों में आसमान पर रोशनी की किरण के रूप में देखा गया.
करीब 32 किलोमीटर की ऊँचाई पर यान से पैराशूट छोड़ा गया और करीब 3 किलोमीटर की ऊँचाई पर पैराशूट खोला गया जिसके बाद धूल के कणों से भरा बक्सा यूटा रेगिस्तान पर 1012 जीएमटी पर पहुँचा.
अंतरिक्ष यान स्टारडस्ट 2004 में वाइल्ड 2 नाम के पुच्छल तारे से जा टकराया था.
वहीं पीएसएसआरई के डॉक्टर साइमन ग्रीन ने बताया,” धूमकेतु बर्फ़ से बने होते हैं और बहुत ठंडे होते हैं. इसके चलते जिस धूमकेतु का मूल पदार्थ गर्मी से बचा रहता है. सो जब से धूमकेतु बने हैं वो ज्यों के त्यों हैं.”
ये पहली बार है जब किसी अंतरिक्ष अभियान के तहत धूल के कण धरती पर भेजे गए हैं.
इस पहले 1976 में पूर्व सोवियत संघ के एक मानवरहित यान चाँद से मिट्टी के नमूने लेकर वापस लेकर आया था.

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